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Live-in Relationship का Legal Status भारत में: जानिए आपके अधिकार!
भारत में Live-in Relationship को लेकर कई सवाल उठते हैं – क्या यह कानूनी रूप से मान्य है? क्या इसमें पार्टनर को शादी जैसे अधिकार मिलते हैं? अगर रिश्ता टूट जाए तो कानूनी सुरक्षा मिलती है या नहीं? इस लेख में हम भारत में Live-in Relationship के कानूनी स्टेटस, सुप्रीम कोर्ट के फैसलों, कानूनी अधिकारों और इसमें आने वाली चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
Live-in Relationship भारत में कानूनी है या नहीं?
भारत में Live-in Relationship गैरकानूनी नहीं है, लेकिन इस पर कोई सीधा कानून भी नहीं बना है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कई फैसलों ने इसे मान्यता दी है और संविधान के अनुच्छेद 21 (Right to Life and Personal Liberty) के तहत इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हिस्सा माना है।
महत्वपूर्ण कोर्ट के फैसले जो Live-in Relationship को कानूनी सुरक्षा देते हैं:
📌 S. Khushboo vs. Kanniammal & Anr (2010) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि Live-in Relationship अपराध नहीं है और यह व्यक्तिगत पसंद का मामला है।
📌 Indra Sarma vs. V.K.V. Sarma (2013) – कोर्ट ने माना कि यदि कोई महिला लंबे समय तक Live-in Relationship में रहती है और फिर उसे छोड़ दिया जाता है, तो उसे Maintenance (भरण-पोषण) का अधिकार मिल सकता है।
📌 Tulsa & Ors vs. Durghatiya & Ors (2008) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर Live-in Relationship लंबे समय तक रहा है और दोनों पार्टनर पति-पत्नी की तरह रहे हैं, तो इसे “Presumption of Marriage” माना जा सकता है।
Live-in Relationship में पार्टनर्स के कानूनी अधिकार
1. Maintenance (भरण-पोषण का अधिकार)
- अगर कोई महिला लंबे समय तक Live-in Relationship में रहती है और फिर उसे अचानक छोड़ दिया जाता है, तो वह Domestic Violence Act, 2005 के तहत भरण-पोषण (Maintenance) का दावा कर सकती है।
- सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, महिला को पति-पत्नी की तरह आर्थिक सहायता दी जा सकती है।
2. बच्चों के कानूनी अधिकार
- Live-in Relationship से जन्मे बच्चे वैध (Legitimate) माने जाते हैं।
- वे पिता की संपत्ति में अधिकार रखते हैं (Revanasiddappa vs. Mallikarjun, 2011 Case)।
- लेकिन, उन्हें पिता की खुद की अर्जित संपत्ति में दावा करने का अधिकार नहीं होता।
3. Domestic Violence से सुरक्षा
- Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005 के तहत महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए कानूनी सुरक्षा दी गई है।
- अगर कोई महिला Live-in Relationship में हिंसा का शिकार होती है, तो वह कानूनी कार्यवाही कर सकती है।
4. शादी की मान्यता नहीं
- Live-in Relationship को अभी तक कानूनी रूप से विवाह (Marriage) के बराबर दर्जा नहीं दिया गया है।
- अगर पार्टनर अलग होते हैं, तो कोई तलाक (Divorce) जैसी प्रक्रिया लागू नहीं होती।
Live-in Relationship के कानूनी खतरे और चुनौतियाँ
❌ सामाजिक स्वीकृति की कमी: भारतीय समाज अभी भी Live-in Relationship को पूरी तरह स्वीकार नहीं करता।
❌ संपत्ति में अधिकार नहीं: Live-in पार्टनर को पति-पत्नी की तरह संपत्ति में अधिकार नहीं मिलता।
❌ लंबे समय के बाद छोड़ दिए जाने पर सुरक्षा नहीं: अगर Live-in Relationship में रहने के बाद पार्टनर अचानक रिश्ता तोड़ दे, तो कानूनी सहारा लेना मुश्किल हो सकता है।
❌ धोखाधड़ी और गलतफहमी का खतरा: अगर कोई व्यक्ति शादी के झूठे वादे से Live-in Relationship में आता है, तो उस पर धोखाधड़ी का केस किया जा सकता है।
Live-in Relationship से जुड़े कानूनी प्रावधान
कानून | Live-in Relationship में लागू होता है? |
---|---|
Hindu Marriage Act, 1955 | ❌ लागू नहीं होता (Live-in को शादी के बराबर नहीं माना जाता) |
Criminal Procedure Code (CrPC) – धारा 125 | ✅ महिला Maintenance (गुजारा भत्ता) मांग सकती है |
Domestic Violence Act, 2005 | ✅ महिला घरेलू हिंसा की शिकायत कर सकती है |
Guardian and Wards Act, 1890 | ✅ Live-in Relationship से जन्मे बच्चे को माता-पिता दोनों से अधिकार मिलते हैं |
Live-in Relationship रजिस्ट्रेशन: क्या यह संभव है?
भारत में Live-in Relationship को रजिस्टर करने का कोई कानूनी तरीका नहीं है। हालांकि, अगर पार्टनर्स अपनी सुरक्षा के लिए रजिस्टर्ड डॉक्यूमेंट रखना चाहते हैं, तो वे Mutual Agreement (आपसी सहमति पत्र) बना सकते हैं, जिसमें ये शामिल हो:
✔ रिश्ते की शर्तें
✔ आर्थिक जिम्मेदारियाँ
✔ संपत्ति से जुड़ी बातें
✔ अलग होने के बाद की शर्तें
निष्कर्ष
भारत में Live-in Relationship गैरकानूनी नहीं है, लेकिन इस पर कोई स्पष्ट कानून नहीं है। अगर आप Live-in Relationship में हैं या इसे अपनाने की सोच रहे हैं, तो आपको अपने अधिकारों और कानूनी पहलुओं को समझकर फैसला लेना चाहिए।