Juvenile Crime: नाबालिग को सजा या सुधार? जानिए पूरा कानून!

Juvenile Justice Act
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Juvenile Justice Act: नाबालिग अपराधियों का कानून | पूरी जानकारी

Juvenile Justice Act भारत में नाबालिग (18 साल से कम उम्र के) अपराधियों से जुड़े मामलों को नियंत्रित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कानून है। जब कोई नाबालिग किसी गंभीर अपराध में शामिल होता है, तो सवाल उठता है – क्या उसे वयस्क (Adult) की तरह सजा मिलेगी या नाबालिग मानकर सुधार का मौका दिया जाएगा? इस लेख में हम Juvenile Justice Act, 2015 की पूरी जानकारी देंगे, जिसमें इसकी विशेषताएँ, सजा का प्रावधान, हाल के संशोधन और सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले शामिल हैं।

1. Juvenile Justice Act क्या है?

Juvenile Justice Act, 2015 भारत में बच्चों के अपराध और देखभाल से जुड़े मामलों को नियंत्रित करता है। इसका उद्देश्य नाबालिग अपराधियों को सुधार का मौका देना है, न कि सीधे जेल भेजना। हालांकि, कुछ मामलों में गंभीर अपराध करने वाले नाबालिगों को वयस्क (Adult) के रूप में ट्रायल किया जा सकता है

Juvenile Justice Act की प्रमुख विशेषताएँ:

18 साल से कम उम्र के अपराधियों पर लागू
छोटे अपराधों के लिए सुधार गृह (Juvenile Homes) में भेजा जाता है
गंभीर अपराधों (Heinous Crimes) में 16-18 साल के अपराधियों पर वयस्क की तरह केस चल सकता है
बच्चों के पुनर्वास (Rehabilitation) और संरक्षण (Protection) की व्यवस्था
बच्चों को गोद लेने (Adoption) की प्रक्रिया को सरल बनाया गया

2. Juvenile Justice Act किन अपराधों को कवर करता है?

👉 1. Petty Offences (छोटे अपराध)

✅ चोरी, सामान्य मारपीट, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना
✅ इन मामलों में नाबालिग को सुधार गृह में भेजा जाता है और काउंसलिंग दी जाती है

👉 2. Serious Offences (गंभीर अपराध)

✅ जानबूझकर चोट पहुंचाना, गंभीर धोखाधड़ी
✅ इन मामलों में Juvenile Justice Board (JJB) तय करता है कि सजा सुधार गृह में होगी या केस वयस्क की तरह चलेगा

👉 3. Heinous Offences (खतरनाक अपराध)

✅ हत्या, बलात्कार, एसिड अटैक, आतंकी गतिविधियाँ
अगर आरोपी की उम्र 16-18 साल है, तो उसे वयस्क के रूप में ट्रायल किया जा सकता है

3. क्या नाबालिग को भी वयस्क (Adult) की तरह सजा मिल सकती है?

Juvenile Justice Act, 2015 के तहत, अगर 16-18 साल का नाबालिग “Heinous Crime” करता है, तो उसे वयस्क के रूप में ट्रायल किया जा सकता है।
Juvenile Justice Board (JJB) पहले यह तय करेगा कि आरोपी मानसिक रूप से परिपक्व (Mature) है या नहीं।
✅ अगर अपराध बहुत गंभीर है, तो उसे IPC (Indian Penal Code) के तहत वयस्क अपराधी की तरह सजा मिल सकती है

4. Juvenile Justice Act में हाल के संशोधन (Latest Amendments

📌 2021 का संशोधन:
✔ अब गंभीर अपराधों (Serious Offences) में भी 16-18 साल के नाबालिगों को वयस्क मानकर केस चल सकता है
अनाथ बच्चों को गोद लेने (Adoption Process) को आसान किया गया
किशोर अपराधियों की काउंसलिंग और सुधार प्रक्रिया को और प्रभावी बनाया गया

5. Juvenile Justice Act से जुड़े महत्वपूर्ण कोर्ट के फैसले

📌 Shilpa Mittal vs. State of NCT Delhi (2020) – सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गंभीर अपराधों में 16-18 साल के नाबालिगों को वयस्क के रूप में ट्रायल किया जा सकता है

📌 Kathua Rape Case (2018) – इस मामले में एक नाबालिग आरोपी को भी वयस्क अपराधी की तरह सजा दी गई

📌 Nirbhaya Case (2012) – एक आरोपी नाबालिग था, जिसे सुधार गृह में सिर्फ 3 साल की सजा हुई, जिससे Juvenile Justice Act में संशोधन की जरूरत महसूस हुई।

6. Juvenile Justice Board (JJB) क्या है और इसका रोल क्या है?

Juvenile Justice Board (JJB) वह कानूनी संस्था है जो नाबालिग अपराधियों के मामलों की सुनवाई करती है

इसमें 1 न्यायाधीश और 2 सामाजिक कार्यकर्ता होते हैं
यह तय करता है कि नाबालिग को सुधार गृह भेजा जाए या वयस्क मानकर केस चले
बच्चों के पुनर्वास (Rehabilitation) की सिफारिश करता है

7. Juvenile Justice Act में सजा और सुधार की प्रक्रिया

अपराध का प्रकार सजा/कार्यवाही
Petty Offences (छोटे अपराध) सुधार गृह में 3-6 महीने
Serious Offences (गंभीर अपराध) 3 साल तक सुधार गृह में
Heinous Offences (खतरनाक अपराध) 16-18 साल के नाबालिगों को वयस्क ट्रायल

8. Juvenile Justice Act से जुड़े विवाद और चुनौतियाँ

16-18 साल के नाबालिगों को वयस्क मानकर ट्रायल करने पर कई मानवाधिकार संगठनों ने आपत्ति जताई है।
कुछ मामलों में अपराधी नाबालिग होने का फायदा उठाकर सजा से बच जाते हैं।
सुधार गृहों की स्थिति और पुनर्वास योजनाओं में सुधार की जरूरत है।

9. Juvenile Justice Act के तहत कैसे शिकायत करें?

अगर किसी नाबालिग से अपराध हुआ है या वह किसी अपराध में शामिल है, तो आप:
पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
Juvenile Justice Board (JJB) में मामला दर्ज करा सकते हैं।
बाल संरक्षण आयोग (National/State Child Protection Commission) से संपर्क कर सकते हैं।

निष्कर्ष

Juvenile Justice Act भारत में नाबालिग अपराधियों की कानूनी प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। अगर कोई नाबालिग छोटा अपराध करता है, तो उसे सुधार का मौका दिया जाता है, लेकिन अगर वह गंभीर अपराध करता है, तो उसे वयस्क की तरह सजा भी मिल सकती है। यह कानून बच्चों के अधिकारों की रक्षा और समाज की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है

 

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