
भारत में विवाह की कई प्रथाएं हैं, लेकिन जब बात होती है सीधी, सरल और कम खर्चीली शादी की, तो सबसे पहला नाम आता है – Arya Samaj Mandir का। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आर्य समाज मंदिर में की गई शादी कितनी वैध होती है? क्या इस पर कानून की मुहर होती है? और अगर तलाक की नौबत आती है, तो कौन से कानून लागू होते हैं?
इस ब्लॉग में आपको मिलेगी हर वो जानकारी जो Arya Samaj Mandir marriage से जुड़ी है – सरल भाषा में, सही तथ्यों के साथ।
Contents
- 1 आर्य समाज मैरिज का कानूनी आधार क्या है?
- 2 किन लोगों के लिए है Arya Samaj Mandir शादी?
- 3 शादी की मुख्य शर्तें
- 4 Arya Samaj Mandir शादी की प्रक्रिया
- 5 क्या Arya Samaj Marriage Certificate ही काफी है?
- 6 तलाक या उत्तराधिकार में कौन सा कानून लागू होगा?
- 7 Arya Samaj Mandir शादी क्यों होती है पसंद?
- 8 क्या अखबार में नोटिस देना जरूरी है?
- 9 निष्कर्ष (Conclusion)
आर्य समाज मैरिज का कानूनी आधार क्या है?
आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा 1875 में की गई थी। इसका उद्देश्य था समाज से अंधविश्वास और जातिगत भेदभाव को हटाना। इसी उद्देश्य के तहत Arya Samaj Mandir में विवाह की परंपरा शुरू हुई।
वर्ष 1937 में Arya Marriage Validation Act पास हुआ, जो ये स्पष्ट करता है कि आर्य समाज में की गई शादी कानूनी रूप से वैध मानी जाती है। इसके अलावा, अगर सभी शर्तें पूरी हों, तो ये विवाह Hindu Marriage Act, 1955 के अंतर्गत भी मान्यता प्राप्त होता है।
किन लोगों के लिए है Arya Samaj Mandir शादी?
आर्य समाज मंदिर में शादी करने के लिए दोनों पक्षों का हिंदू धर्म से जुड़ा होना जरूरी है। इसमें हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख समुदाय शामिल हैं।
अगर कोई व्यक्ति मुस्लिम या ईसाई है, तो उन्हें पहले शुद्धिकरण प्रक्रिया (conversion) के जरिए हिंदू धर्म अपनाना होगा, तभी वे आर्य समाज मंदिर में विवाह कर सकते हैं।
शादी की मुख्य शर्तें
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लड़के की उम्र कम से कम 21 वर्ष और लड़की की 18 वर्ष होनी चाहिए।
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दोनों मानसिक रूप से स्वस्थ हों।
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किसी का भी विवाह पहले से न हो, यानी पति या पत्नी जीवित न हो।
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दोनों आपस में सपिंड न हों (नज़दीकी रक्त संबंध)।
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शादी आपसी सहमति से होनी चाहिए।
इन शर्तों का पालन जरूरी है, तभी विवाह वैध माना जाएगा।
Arya Samaj Mandir शादी की प्रक्रिया
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रजिस्ट्रेशन: सबसे पहले, वर और वधू को आर्य समाज मंदिर में जाकर या ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होता है।
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दस्तावेज़ जांच: उम्र, धर्म, वैवाहिक स्थिति, पहचान आदि के डॉक्यूमेंट्स की जांच की जाती है।
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तिथि निर्धारण: शादी के लिए एक तारीख तय की जाती है।
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शादी समारोह: तय दिन पर मंदिर में सात फेरे, हवन, वरमाला के साथ वैदिक पद्धति से विवाह कराया जाता है।
शादी के बाद, मंदिर की ओर से एक Marriage Certificate भी प्रदान किया जाता है।
क्या Arya Samaj Marriage Certificate ही काफी है?
आर्य समाज मंदिर द्वारा दिया गया मैरिज सर्टिफिकेट एक प्रमाण है कि विवाह संपन्न हुआ है। लेकिन इसे कानूनी रूप से मान्यता तभी मिलती है जब आप इसे स्थानीय नगर निगम या नगर पालिका में रजिस्टर करवाते हैं।
यानि अगर आप पासपोर्ट, वीज़ा या सरकारी कामों के लिए मैरिज प्रूफ चाहते हैं, तो Marriage Registration करवाना अनिवार्य है।

तलाक या उत्तराधिकार में कौन सा कानून लागू होगा?
अगर Arya Samaj Mandir में शादी करने के बाद पति-पत्नी के बीच कोई विवाद होता है और तलाक की नौबत आती है, तो उस पर Hindu Marriage Act, 1955 लागू होगा।
इसी तरह, संपत्ति या उत्तराधिकार संबंधी मामलों में Hindu Succession Act, 1956 के ही प्रावधान लागू होते हैं।
आर्य समाज के लिए अलग से कोई तलाक या उत्तराधिकार कानून नहीं है।
Arya Samaj Mandir शादी क्यों होती है पसंद?
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कम खर्च: बिना दहेज, बिना तामझाम, सादगी से शादी
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त्वरित प्रक्रिया: एक ही दिन में विवाह संभव
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जाति भेदभाव से मुक्ति: यहां जाति की कोई बाध्यता नहीं
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कानूनी मान्यता: वैध और प्रमाणिक विवाह
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कम गवाह: केवल 2 गवाहों की उपस्थिति काफी
क्या अखबार में नोटिस देना जरूरी है?
Arya Samaj Mandir में विवाह सामान्यतः सीमित लोगों की मौजूदगी में होता है, जिससे समाज को जानकारी नहीं होती। इसलिए विवाह की जानकारी देने के लिए एक public notice किसी लोकल या नेशनल अखबार में प्रकाशित करना अच्छा विकल्प है। इससे भविष्य में कोई विवाद या गलतफहमी नहीं होती।
निष्कर्ष (Conclusion)
अगर आप एक कम खर्चीली, शीघ्र और पूरी तरह कानूनी मान्यता प्राप्त शादी करना चाहते हैं, तो Arya Samaj Mandir सबसे अच्छा विकल्प है। बस आपको नियमों और प्रक्रिया का सही से पालन करना होगा।
याद रखें, शादी का सही रजिस्ट्रेशन और दोनों पक्षों की सहमति, किसी भी विवाह को वैध बनाते हैं – और आर्य समाज मंदिर में किया गया विवाह इसमें पूरी तरह खरा उतरता है।